जानिए आखिर किन विशेषताओं के वजह से मिली अशोक चक्र को तिरंगे में जगह..।

काफी दिलचस्प और ऐतिहासिक शीर्षक "है न" लोगों के लिए यह शोध का विषय भी है प्रियदर्शी सम्राट अशोक महान के चक्र को तिरंगे में होना हमारे देश की गरिमा को स्थापित करना है । "सम्राट अशोक महान" और उनके चक्र से भारत और उसके तिरंगे की पहचान है, यह चक्र कोई साधारण चक्र नहीं है। इस चक्र से पूरी दुनिया भारत को सम्राट अशोक महान का भारत कहती है, सोने की चिड़िया भारत को कहती है, भारत को व्यवसायी, शसक्त, शिक्षित, समृद्ध भारत कहती है, इस चक्र में बनी हुई 24 तीलियों का अर्थ अलग-अलग है, इस चक्र का एक और उद्देश्य है "कि जीवन गतिमान है, चक्र के समान है जो कि निरन्तर चलते रहता है ।" जिसको संविधान निर्माताओं ने समझते हुए देश की आन-बान-शान का गौरव बनाया है, राष्ट्र के राष्ट्रीय ध्वज में अंकित किया है।

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"सम्राट अशोक महान" के बहुत से शिलालेखों पर चक्र बना हुआ है, इसे ही "अशोक चक्र" कहते हैं, यह चक्र धम्मचक्र का प्रतीक है, उदाहरण के लिये सारनाथ स्थित अशोक स्तम्भ (चतुर्मुख शेर) पर "अशोक चक्र" विद्यमान है, जो आज भी सारनाथ के संग्रहालय में भारत सरकार की निगरानी में संग्रहित करके रखा गया है ! 

भारत के तिरंगे में लगा चक्र नीले रंग का होता है. इसके रंग के बारे में कहा गया है कि, नीला रंग आकाश, महासागर और सार्वभौमिक सत्य को दर्शाता हैं. इसलिए राष्ट्रीय ध्वज की सफेद पट्टी के केंद्र में नीले रंग का अशोक चक्र होता हैं !

अशोक चक्र में लगी 24 तीलियों का अर्थ -








अशोक चक्र के 24 तीलियों की महत्व

  • पहली तीली- संयम (संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है)
  • दूसरी तीली- आरोग्य (निरोगी जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है)
  • तीसरी तीली- शांति (देश में शांति व्यवस्था कायम रखने की सलाह)
  • चौथी तीली- त्याग (देश एवं समाज के लिए त्याग की भावना का विकास)
  • पांचवीं तीली- शील (व्यक्तिगत स्वभाव में शीलता की शिक्षा)
  • छठवीं तीली- सेवा (देश एवं समाज की सेवा की शिक्षा)
  • सातवीं तीली- क्षमा (मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना)
  • आठवीं तीली- प्रेम (देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना)
  • नौवीं तीली- मैत्री (समाज में मैत्री की भावना)
  • दसवीं तीली- बन्धुत्व (देश प्रेम एवं बंधुत्व को बढ़ावा देना)
  • ग्यारहवीं तीली- संगठन (राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत रखना)
  • बारहवीं तीली- कल्याण (देश व समाज के लिये कल्याणकारी कार्यों में भाग लेना)
  • तेरहवीं तीली- समृद्धि (देश एवं समाज की समृद्धि में योगदान देना)
  • चौदहवीं तीली- उद्योग (देश की औद्योगिक प्रगति में सहायता करना)
  • पंद्रहवीं तीली- सुरक्षा (देश की सुरक्षा के लिए सदैव तैयार रहना)
  • सौलहवीं तीली- नियम (निजी जिंदगी में नियम संयम से बर्ताव करना)
  • सत्रहवीं तीली- समता (समता मूलक समाज की स्थापना करना)
  • अठारहवी तीली- अर्थ (धन का सदुपयोग करना)
  • उन्नीसवीं तीली- नीति (देश की नीति के प्रति निष्ठा रखना)
  • बीसवीं तीली- न्याय (सभी के लिए न्याय की बात करना)
  • इक्कीसवीं तीली- सहकार्य (आपस में मिलजुल कार्य करना)
  • बाईसवीं तीली- कर्तव्य (अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना)
  • तेईसवी तीली- अधिकार (अधिकारों का दुरूपयोग न करना)
  • चौबीसवीं तीली- बुद्धिमत्ता (देश की समृधि के लिए स्वयं का बौद्धिक विकास करना)


भारत गुणों की पूजा करने वाला देश है, विचारों की पूजा करने वाला देश है, इसलिये "सम्राट अशोक महान" के लोककल्याणकारी शासन को, उनके करुणा सागर हृदय दर्शाने को, उनके अखण्ड राष्ट्र को सुशासन देने वाली नीतियों को, सभी जीवों पर दया, क्षमा, प्रेम करने वाले दिल को, एवं समस्त प्रजा को अपनी संतान समझने वाले शासन को इकट्ठे अंकित करने के लिए ये 24 तीलियों वाले चक्र को राष्ट्रीय ध्वज में स्थापित किया गया है ।

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