बसपा में पूर्व मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा की पार्टी जन अधिकार पार्टी भी लगातार पूर्वांचल में अपनी रैलियां कर रही है , पूर्वांचल में मौर्य / कुशवाहा वोटों की संख्या काफी अधिक है पिछली बार मौर्य / कुशवाहा वोटों का बड़ा हिस्सा भारतीय जनता पार्टी के पास गया था मगर भाजपा द्वारा केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री ना बनाने के कारण इस समाज के अंदर नाराजगी है जिसका फायदा बाबू सिंह कुशवाहा की पार्टी जन अधिकार पार्टी को मिलता हुआ दिखाई पड़ रहा है ।
हाल ही में बाबू सिंह कुशवाहा ने पूर्वांचल के कई जिलों में लगातार रैलियां की जिनमें काफी संख्या में लोग जुटे जिससे ये कयास लगाया जा रहा है कि इस बार भारतीय जनता पार्टी के तरफ अगर मौर्य, कुशवाहा, शाक्य ,सैनी वोटर नहीं गया तो भारतीय जनता पार्टी को बड़ा सियासी नुकसान हो सकता है क्योंकि नान यादव ओबीसी वोटर में मौर्य , कुशवाहा, शाक्य ,सैनी बहुतायत संख्या में पिछली बार भारतीय जनता पार्टी के पाले में गए थे जिसके परिणाम स्वरूप भाजपा ने पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी की मजबूत सीटों पर भी आसानी से विजय हासिल किया। उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति समीकरण काफी महत्व रखता है इसीलिए जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर समाजवादी पार्टी ने विभिन्न छोटे दलों से गठबंधन किया है - महान दल, जनवादी पार्टी सोशलिस्ट ,सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल इत्यादि ।
पूर्वांचल की लगभग 35 से 40 विधानसभा सीटें ऐसी है जिस पर कोइरी बिरादरी का बहुत ज्यादा प्रभाव माना जाता है अगर इस बार कोईरी बिरादरी बाबू सिंह कुशवाहा के साथ जाती है तो भारतीय जनता पार्टी को इन 35 से 40 सीटों पर नुकसान होना लगभग तय है और इसका सीधा फायदा समाजवादी पार्टी को हो सकता है या फिर यदि कोईरी बिरादरी का 70 से 80 फ़ीसदी वोट जन अधिकार पार्टी को मिलता है तो जन अधिकार पार्टी भी इन सीटों में कुछ सीट जीतने में सफल हो सकती है ।
विभिन्न समाचार पत्रों और स्त्रोत के आधार पर माना जाता है कि मौर्य कुशवाहा शाक्य सैनी की उत्तर प्रदेश में लगभग 14% आबादी है जो पूर्वांचल , अवध , बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी तक फैली हुई है ।
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