आज ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि पर विशेष लेख पढ़िए | Jyotiba Phule

" किसी भी नई क्रांति के लिए हमें हर किसी से लड़ना पड़ता है चाहे पिता हो , भाई हो , कोई शत्रु हो या फिर पड़ोसी । बिना संघर्ष न कोई परिवर्तन हुआ है ना कभी होगा - महात्मा ज्योतिबा फुले । "


नाम : महात्मा जोतिराव गोविंदराव फुले
जन्म : ११ अप्रैल १८२७ पुणे
पिता : गोविंदराव फुले
माता : विमला बाई
पत्नी : सावित्रीबाई फुले

        महात्मा ज्योतिबा फुले (ज्योतिराव गोविंदराव फुले) को 19वी. सदी का प्रमुख समाज सेवक माना जाता है. उन्होंने भारतीय समाज में फैली अनेक कुरूतियों को दूर करने के लिए सतत संघर्ष किया. अ नारी-शिक्षा, विधवा – विवाह और किसानो के हित के लिए ज्योतिबा ने सराहनीय कार्य किया है

: ज्योतिबा फुले की उपलब्धियां : 

        निर्धन तथा निर्बल वर्ग को न्याय दिलाने के लिए ज्योतिबा ने 'सत्यशोधक समाज' १८७३ मे स्थापित किया। उनकी समाजसेवा देखकर १८८८ ई. में मुंबई की एक विशाल सभा में उन्हें 'महात्मा' की उपाधि दी। ज्योतिबा ने ब्राह्मण-पुरोहित के बिना ही विवाह-संस्कार आरम्भ कराया और इसे मुंबई उच्च न्यायालय से भी मान्यता मिली। वे बाल-विवाह विरोधी और विधवा-विवाह के समर्थक थे। अपने जीवन काल में उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं-गुलामगिरी, तृतीय रत्न, छत्रपति शिवाजी, राजा भोसला का पखड़ा, किसान का कोड़ा, अछूतों की कैफियत. महात्मा ज्योतिबा व उनके संगठन के संघर्ष के कारण सरकार ने ‘एग्रीकल्चर एक्ट’ पास किया। धर्म, समाज और परम्पराओं के सत्य को सामने लाने हेतु उन्होंने अनेक पुस्तकें भी लिखी.[7]

ब्रिटिश सरकार द्वारा उपाधि: १८८३ में स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने के महान कार्य के लिए उन्हें तत्कालीन ब्रिटिश भारत सरकार ने "स्त्री शिक्षण के आद्यजनक" कहकर गौरवान्वित किया।





एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ